Emergency Declaration: South Korea movie. यह ज़िंदगी अपनों के साथ के लिए बनी है।

Emergency Declaration

जब मौत सामने हो तो व्यक्ति सबसे पहले अपनी जान की फिक्र करता है। यह सच है इसे छिपाया या झुठलाया नहीं जा सकता। जानवर भी इसी तरह से करते हैं वो अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं जब तक उन्हें उनकी जान पर न बन आये तब तक वो नहीं भागते। अपनी जान पर बन आने पर तो बिल्ली भी झपटे मारती है। दरअसल मैं यह बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैंने अभी एक फ़िल्म देखा है जिसका नाम है 'Emergency Declaration' यह फ़िल्म अमेजन प्राइम पर उपलब्ध है। इस फ़िल्म के Director: Han Jae-rim हैं और यह फ़िल्म साउथ कोरियन फ़िल्म है, साथ ही यह फ़िल्म बिग बजट फ़िल्म है।

एक पायलट है जो फ़िल्म के आख़री में यह कहता है कि ' क्यों पैदा हुआ इस देश में' तो उसका साथी कॉ-पायलट कहता है। नहीं, यह बात नहीं है, बस वो लोग घबराए हुए हैं जैसे कि हम। 

फ़िल्म के नाम से ही आपको इस बात का अंदाजा तो लग ही गया होगा कि फ़िल्म किसी विपरीत परिस्थिति पर आधारित है। जी हाँ! फ़िल्म एक हवाई जहाज के अंदर की कहानी पर आधारित है जो 'hawai' जा रही है। फ़्लाइट के अंदर एक व्यक्ति है जिसके पास एक वायरस है जिसे उसने लैब में तैयार किया है, जिसका वैक्सीन अभी तक नहीं बनाया गया है।

धीरे-धीरे पूरे फ्लाइट में वायरस फैलने लगता है क्रू मेंबर के साथ-साथ यात्रियों की भी जान जाने लगती है। फ़्लाइट रास्ते में आने वाले सभी air बेस से संपर्क कडती है कि उसे लैंडिंग की इजाज़त दी जाय। पर सभी air बेस ने लैंडिंग की इजाज़त से मना कर दिया है। सिओल में लैंडिंग परमिशन नहीं मिली, जबर्दस्ती लैंडिंग करने पर वहाँ की सरकार ने शूट करने का आर्डर दे दिया। साथ ही चेतावनी वाली फायर भी कर दी गयी।

जमीन पर कोरिया की सरकार और पूरी इमरजेंसी टीम यह राय नहीं बना पाती है कि उसे जमीन पर लैंड करने दिया जाय या नहीं। तभी पायलट कहता है कि हमन किस देश में जन्म ले लिया।

इस फ़िल्म को देखते वक्त कई दफा कई बातें कई तरह से सही और कई तरह से गलत लग रहा था। यह फ़िल्म निर्णय लेने की क्षमता पर आधारित है। जिन अफसरों को हम बड़े-बड़े कारों में बैठे देखते हैं उनके लिए फैसला लेना कितना मुश्किल होता है, इस बात से हम लोग अनजान हैं जबतक कि हम उस कुर्सी पर बैठकर खुद न फैसला करने लगे। बातें समान सी थी उन्हें जमीन पर अपनी धरती पर उतरने दें या नहीं? जबाब था अगर उनसे खतरा है तो नहीं? अगर नहीं है तो हाँ!, पर क्या यह इतना आसान था? वो हमारे लोग हैं मुश्किल में हम अपने लोगों का साथ नहीं देंगे तो कौन देगा?, फिर सवाल आता है कि कुछ लोगों के जान बचाने के लिए पूरे देश को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। तो क्या 'कुछ लोगों' को मरने के लिए छोड़ देना चाहिए? अब इस सवाल का क्या जबाब हम दे सकते हैं? बिल्कुल कोई जबाब नहीं बचता है हमारे पास, हम बस मूर्ति बनकर यह देख रहे होते हैं कि अब जो होगा उससे कैसे निपटा जाय? यह एक मुश्किल घड़ी होती है किसी अफसर के लिए, शायद इसी की वो ट्रेनिंग लेते हों। इसी की ही उन्हें उतनी सैलरी और आरामदायक जीवन मिल रहा हो।

पूरे फ़िल्म से यही समझ आया कि कोई स्थिति ऐसी नहीं है जिससे उबरा न जा सके, सही समझ बुझ और बिना पैनिक हुए हमें वो फैसला लेना चाहिए जो कि सबके हित में हो।

जब जमीन पर सभी लोगों ने प्लेन को लैंड करने से मना कर दिया, वैसे में पूरी फ़्लाइट और पायलट ने मिलकर यह तय किया कि हम नीचे नहीं उतरेंगे। हम अपनों की जान बचाने के लिए जमीन पर नहीं उतरेंगे। यह सीन मेरे मन में फैसला और अपनों के लिए प्यार का सच्चा उदाहरण लगा। हमें अपने जान के साथ-साथ अपनों की जिंदगी के बारे में भी सोचना चाहिए।

अंत में यही कहना चहूँगा। यह दुनिया अपनों के साथ, अपनों के लिए ही जीने लायक है। अकेले इस दुनिया में रहकर झूठे बादशाह बनकर क्या ही मिल जाएगा।

कुछ थ्रिल जैसा देखना हो, जिसमें थोड़ी भावना और समझदारी जैसा कुछ देखना हो तो अमेजन प्राइम पर Emergency Declaration देखें।

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