जामिया में अपनी पहली क्लास

आज मैंने जामिया में अपनी पहली क्लास ली। आज सुबह जब साढ़े चार मैं जगा। तब से ढाई घण्टे तक लगातार लिखता रहा। सोचता-लिखता यही करते-करते कब सुबह हुई और सूरज ने पुकारा मुझे पता ही नहीं चला। लेकिन हुआ यह कि जब मैं उसे सेव करके रखना चाह रहा था तो वो डिलेट हो गया। बहुत अफ़सोस हुआ। दरअसल मैंने शिक्षक दिवस पर अपने शिक्षकों को याद करते हुए बचपन से लेकर अब तक के मिले शिक्षकों के बारे में लिखा था। ख़ैर वापस जामिया पर आते हैं। आज मेरी पाँच क्लास थी। लेकिन हमें सिर्फ चार क्लास के बारे में बताया गया था। यह एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है और यहाँ भी शिक्षकों की भारी कमी है यह नहीं पता था। हमारे एक शिक्षक हैं। नाम है डॉ. आर. के. दुबे। हमने पिछले सेमेस्टर में उनसे ऑनलाइन पढ़ाई की है इनके साथ। इस सेमेस्टर में कोर के चारों पेपर यही एक शिक्षक पढ़ा रहें हैं। आज पहला दिन था इन्होंने लगातार 11.50 से दो घण्टे क्लास लिया। फिर 3.40 से दो घण्टे क्लास लिया। पहले पेपर में हमें सिनेमा: विकास और सौंदर्यशास्त्र पढा। कुछ बेसिक बातें थी जो दो घण्टों तक चली। फिर छात्रों ने ही ब्रेक की इच्छा जाहिर कर दी। और सर् ने ब्रेक दिया और कहा कि दुबारा मुलाकात 3.40 में होगी। चूँकि सिनेमा मेरा पसंदीदा टॉपिक है। इसलिए बाकी लोगों की तुलना में मुझे मजा ही आ रहा था। फिल्मों पर बातें करना मुझे हमेशा से अच्छा लगता है। फिर हम इधर-उधर टहले। थोड़ी देर जामिया के चक्कर लगाए, क्योंकि हमने कभी भी जामिया को देखा ही नहीं था। कुछ लोग लंच करने गए और मैं लाइब्रेरी के वाई-फाई का एक्सेस लेने के लिए आई. टी. रूम में गया। दरवाजे पर लिखा था मिलने का समय 2.30 से 5 बजे शाम तक। मैं अंदर गया। कुर्सी खाली थी। मैंने कहा सर् कहाँ हैं? सामने बैठा प्यून कहता है सर् लंच करने गए हैं। मैंने कहा- अभी तो वर्किंग पीरियड है ना? उसने कहा हाँ, सर् बस आते होंगे। मैं इंतजार करने लगा। सर् आते होंगे, सर् आते होंगे यह कहकर दो दफा घुमाया गया। हार कर मैंने कहा कि मैं अब पाँच बजे आऊँगा और काम करवा लूँगा क्योंकि मेरी क्लास शुरू होने वाली थी। मैं क्लास आया कमरा संख्या 203. इसमें पहले से एक कोई क्लास चल रही थी। जबकि डिपार्टमेंट ने इस समय में हमें यह क्लास अलॉट की हुई है। इसके बाबजूद वह शिक्षिका ने पढ़ाना जारी रखा। थोड़ी देर बाद सर् आते हैं। वह कहते हैं कि जो क्लास खाली है उसी में चलो। मैंने पता किया कि तो एक कमरा खाली मिला कमरा संख्या 218. मैंने सभी को बुलाया और कहा कि इसी में आज की कक्षा को सम्पन्न किया जाय। दुबे सर् ने ही हमें फिर से दो घण्टा पढ़ाया जिसमें उन्होंने शुरू में मीडिया शोध और यह क्यों जरूरी है इस पर बात की। फिर अगले घण्टे में हमने मो.जो. मोबाइल जॉर्नलिस्म पर बात की। आज हमने थोड़ा सा फन किया। ये थोड़ा सा फ़िल्मी लग सकता है पर हमने किया। हम में से ही एक लड़के को हमने प्रोफेसर बना दिया। जिसका बैग प्रोफेसर के जैसा दिख रहा था। और फिर हम किसी को बुलाते यह कहते हुए की सर् बुला रहें हैं। फिर उससे कुछ सवाल करता और उसके चेहरे को देख मजा किया। हम कई क्लास गए जहाँ पर हम ने उसे शिक्षक बना दिया। और सभी छात्रों से शिक्षक कहते हुए परिचय करवाया। ये एक अच्छा फन था आज का।

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