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Showing posts from September, 2022

जामिया कॉर्नर 2

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जामिया कॉर्नर जामिया में मेरी एक दिनचर्या है। इसके बारे में लिखने के लिए मैंने एक नाम सोचा है। आगे मैं इसी नाम "जामिया कॉर्नर" से लिखूँगा। जिसमें जामिया में मेरे बीते दिन या किसी घटना के बारे में बात करूँगा। आज क्लास में मैं दस मिनट देर से पहुँचा। सर् ने सिनेमा पर कुछ-कुछ बातें शुरू कर दी थी। मेरे पहुँचने से पहले सर् ने कल की कुछ बातों को दुहराया और आगे की टॉपिक पर बढ़ने लगे थे। आज हमने सिनेमा संस्कृति से जोड़कर देखने का प्रयास किया। यह एक नया अनुभव था। मैंने सिनेमा को इस तरह से आज से पहले न कभी सुना था। न इस पर बात करने के लिए सोचा था। हमने उत्सवधर्मिता से नाट्यशास्त्र और फिर सिनेमा तक के सफर पर एक निगाह डाला। हमने चर्चा के दौरान CSR कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी और इंटरकास्ट मैरेज के आँकड़े साथ ही मालिक मो. जायशी रचित पद्मावत पर भी नजर डाली। अच्छी बात-चीत चल रही थी। हमारी क्लास कमरा संख्या 204 में चल रही थी। पर इस कक्षा की एक समस्या है कि इसमें खिड़की से आवाज़ आती है सड़क पर चलने वाली गाड़ी और मेट्रो का। अगर ज़ामिया के इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो हिन्दी विभाग दयनीय स्थिति मे...

जामिया में अपनी पहली क्लास

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आज मैंने जामिया में अपनी पहली क्लास ली। आज सुबह जब साढ़े चार मैं जगा। तब से ढाई घण्टे तक लगातार लिखता रहा। सोचता-लिखता यही करते-करते कब सुबह हुई और सूरज ने पुकारा मुझे पता ही नहीं चला। लेकिन हुआ यह कि जब मैं उसे सेव करके रखना चाह रहा था तो वो डिलेट हो गया। बहुत अफ़सोस हुआ। दरअसल मैंने शिक्षक दिवस पर अपने शिक्षकों को याद करते हुए बचपन से लेकर अब तक के मिले शिक्षकों के बारे में लिखा था। ख़ैर वापस जामिया पर आते हैं। आज मेरी पाँच क्लास थी। लेकिन हमें सिर्फ चार क्लास के बारे में बताया गया था। यह एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है और यहाँ भी शिक्षकों की भारी कमी है यह नहीं पता था। हमारे एक शिक्षक हैं। नाम है डॉ. आर. के. दुबे। हमने पिछले सेमेस्टर में उनसे ऑनलाइन पढ़ाई की है इनके साथ। इस सेमेस्टर में कोर के चारों पेपर यही एक शिक्षक पढ़ा रहें हैं। आज पहला दिन था इन्होंने लगातार 11.50 से दो घण्टे क्लास लिया। फिर 3.40 से दो घण्टे क्लास लिया। पहले पेपर में हमें सिनेमा: विकास और सौंदर्यशास्त्र पढा। कुछ बेसिक बातें थी जो दो घण्टों तक चली। फिर छात्रों ने ही ब्रेक की इच्छा जाहिर कर दी। और सर् ने ब्रेक दिया और कह...

"शेष मैं हूँ" और कुछ किताबें

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"शेष मैं हूँ" और कुछ किताबें दिल्ली आए हुए 4 साढ़े 4 साल हो चुका है। आज से मैं अपना भार खुद उठाने जा रहा हूँ। मतलब यह कि मैं अपना कमरा बदल रहा हूँ। यहीं एक सवाल है मन में कि एक आदमी जिस कमरे में रहता है क्या उसे हम घर कह सकते हैं। एक कमरे में एक इंसान है क्या वह घर है? इसका जबाब आप लोग दें। अब आगे की अपडेट, जामिया ने कहा है कि वो हमारे अगले सेमेस्टर की पढ़ाई ऑफलाइन शुरू करने जा रही है। कब से? यह अभी भी क्लियर नहीं हुआ है। जबकि बाकी सभी डिपार्टमेंट की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। इसलिए मैंने अपना कमरा नॉर्थ से साउथ शिफ्ट कर लिया। इससे पहले मैं अपने एक मित्र (मेरे सीनियर) रौशन भैया के साथ अब तक मतलब साढ़े 4 साल दिल्ली में साथ रहा। अब मैं उनसे बिछड़ रहा हूँ। बिछड़ना हो सकता है कि फायदेमंद हो पर यह तकलीफ़ बहुत देती है। जो कि महसूस हो रही है। कोई मुझसे पूछ देता है कि रौशन से अलग हो रहे हो? तो मेरे अंदर का सारा पानी सूख जाता है। कभी यह संभव है कि मैं उससे बिछड़ सकता हूँ, अलग हो सकता हूँ, नहीं ऐसा नहीं होगा। जब भी कोई ऐसा व्यक्ति जो मुझे और रौशन को जानता हो। वो अगर मुझे रसोई में काम क...