ज्ञानवापी मस्जिद विवाद

हमारा देश शुरू से ही सम्प्रदायिकता के घेरे में रहा है। यह कोई नई बात नहीं है जब हमारे देश के नेताओं ने अपनी राजनीतिक लाभ के लिए हमारे देश की जनता को मूल मुद्दा जैसे कि महँगाई, शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क , महिला सुरक्षा और विकास जैसे अत्यंत महत्त्वपूर्ण मुद्दे से भटकाकर धर्मिक मुद्दे को हवा देना अपना परम् कर्तव्य समझा है। आपको कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट का फैसला याद होगा जो राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर आया था। इस विवाद ने कितने युवाओं की जान ली थी। कितने लोग बेसहारा और कितने दंगे हुए थे। देश में वही माहौल फिर से दुहराने की कोशिश की जा रही है। इस बार बाबरी मस्जिद के जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद है।

 ज्ञानवापी मस्जिद विवाद क्या है? आइये समझते हैं। हिंदुस्तान में जब मुगलों का शासन था तब कई मुगल शासक ऐसे थे जिन्होंने कट्टर थे। जिनका उद्देश्य सिर्फ़ अपने धर्म का प्रचार करना नहीं था। बल्कि उन्होंने कई हिन्दू धर्म के पूजनीय स्थानों को तुड़वाकर वहाँ मस्जिद बनवाया। यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि वह अत्याचारी शासक थे जिनका सिर्फ एक लक्ष्य था भोली भाली हिन्दू जनता पर कहर बरपाना। यह एक लोकप्रिय मान्यता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर किया था। गौरतलब है कि साकिब खान की किताब 'यासिर आलमगिरी' में यह भी उल्लेख है कि औरंगजेब ने 1669 में राज्यपाल अबुल हसन को आदेश देकर मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। 

 कब से है कोर्ट में यह मामला? 
 ज्ञानवापी मस्जिद का मामला 1991 से अदालत में है, जब काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास सहित तीन लोगों ने वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक मुकदमा दायर किया और दावा किया कि औरंगजेब ने मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। भगवान विश्वेश्वर का मंदिर और उस पर एक मस्जिद का निर्माण किया ताकि जमीन उन्हें वापस कर दी जाए।

 वहीं 18 अगस्त, 2021 को वाराणसी की ही अदालत में 5 महिलाओं ने माँ श्रृंगार गौरी के मंदिर में पूजा-अर्चना की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौज़ूदा स्थिति को जानने के लिये एक कमीशन का गठन किया। 
 इसी संदर्भ में कोर्ट द्वारा श्रृंगार गौरी की मूर्ति और ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी कराकर सर्वे रिपोर्ट देने को कहा था, जिसको लेकर हंगामा खड़ा हो गया है, क्योंकि मुस्लिम पक्ष द्वारा सर्वे के लिये नियुक्त किये गए कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किये गए थे।

 हिन्दू पक्ष का क्या कहना है? 
 हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में सबूत के तौर पूरे ज्ञानवापी परिसर का नक्शा प्रस्तुत किया है, जिसमें मस्जिद के प्रवेश द्वार के बाद चारों ओर हिंदू-देवताओं के मंदिरों का ज़िक्र है, साथ ही इसमें विश्वेश्वर मंदिर, ज्ञानकूप, बड़े नंदी तथा व्यास परिवार के तहखाने का उल्लेख है। इसी तहखाने के सर्वे और वीडियोग्राफी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। 

 मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है? 
 वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1991 के धर्मस्थल कानून के तहत इस विवाद पर कोई फैसला नहीं दिया जा सकता है। गौरतलब है कि उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 की धारा 3 के तहत पूजास्थल, यहाँ तक कि उसके खंड को एक अलग धार्मिक संप्रदाय या एक ही धार्मिक संप्रदाय के अलग वर्ग के पूजास्थल में परिवर्तित करने को प्रतिबंधित किया गया है।

 आगे की राह :- ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम पूरा हो गया है. हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वो शिवलिंग नहीं फव्वारा है. मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई. ये सुनवाई मस्जिद कमेटी की याचिका पर की गई. कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में सर्वे कराने पर ही सवाल उठाए थे. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है तो उसकी सुरक्षा की जाए, लेकिन इससे नमाजियों को कोई परेशानी न हो, इसका भी ध्यान रखा जाए. 
 ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंगलवार को वाराणसी कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में सुनवाई हुई. सर्वे टीम की तरफ से रिपोर्ट जमा करने के लिए 2 दिन का समय मांगा गया था. मंगलवार की सुनवाई के दौरान ये मोहलत दे दी गई. इस बीच सर्वे कमिश्नर अजय मिश्रा को हटा दिया गया. उनके सहयोगी पर सर्वे की जानकारी लीक करने के आरोप लग रहे थे. इसके अलावा मुस्लिम पक्ष लगातार उन्हें हटाने की मांग कर रहा था. उनकी जगह कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह के निर्देशन में सर्वे पूरा होगा, जिसमें अजय प्रताप सिंह उनकी मदद करेंगे. विशाल सिंह सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में जमा करेंगे.

 निष्कर्षतः हमें अभी कोर्ट के पूरे फैसले के आने का इंतजार करना चाहिए और कोशिश करना चाहिए कि इस बीच देश का माहौल शांत बना रहे। जिसमें टीवी चैनल को विशेष रूप से अपने आक्रांत तरीके में बदलाव की जरूत है। न्यायालय पर भरोसा रखें। 

 सत्यमेव जयते

 स्रोत:- बीबीसी हिन्दी, आजतक, दृष्टि आईएएस 
 तस्वीर साभार :- आज तक सोशल मीडिया हैंडल

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