DHAI CHAAL Written by NAVEEN CHAUDHARY (एक पाठक के दिल की बात)

ढाई चाल 

                                        

यह एक मल्टीलेयर्ड कहानी है। जिसका आवरण राजीव प्रकाश खरे, ने बनाया है। किताब अपने अंतिम रूप में राजकमल समूह के हाथों ही पहुँचा है। जहाँ आपको मिलेगा सत्ता की हिस्सेदारी, एक बलात्कार, धर्म जाति मीडिया, छल-प्रपंच, और ढाई चाल।


 हाँ! नवीन चौधरी ने इस समाज के बीच रहते हुए अपने हिस्से का काम कर दिया। अभी हाल ही में मैंने कपिल के शो पर कीकू शारदा को एक जोक मारते सुना - " जॉन भाई, आप मेरी भी बाइक उठा कर फेंक दो, पेट्रोल बहुत महँगे हो गए हैं।" (इन बनावटी इंग्लैंड एक्ससेंट) सभी हँसने लगते हैं। पेट्रोल महँगा हैं। यह सभी न्यूज़ वाले जानते हैं पर उस पर बात नहीं कर सकते वैसी स्थिति में एक सबसे ज्यादा देखे जाने वाले चैनल ने बड़ी ही मजाकिया ढंग से सबके सामने आम इंसान की परेशानी को रख दिया। सबको समझ भी आ गया और मजा भी। इसलिए हर वक्त अपनी बात कहने का एक बेहतर तरीका ढूंढ़ना चाहिए। एक सामाजिक व्यक्ति होने के नाते कॉमेडियन ,लेखक, कलाकार आदि का तो महत्त्वपूर्ण काम तो यही होना चाहिए। इसके लिए नवीन चौधरी को शुक्रिया।


आप जरा ये सोचिये कि एक लेखक पसंदिता लेखक कब बनता है? मेरे हिसाब से देखे तो, एक लेखक पसंदिता लेखक तब बन जाता है जब उसके किरादर हमारे मन की बात करें, उसके किरादर का परिवेश वैसा ही हो जैसा हमारा है, उसकी भाषा, उसका पहनावा-ओढावा हमारे जैसा ही हो। यह बात मेरे पसंदिता लेखक नवीन चौधरी भलीभांति समझहते हैं। क्यों न समझें ? कॉरपोरेट के लोग हैं लोगों की समझ को समझना, लोग के डिमांड को पूरा करना यही तो उनके शिक्षा का आधार है। हा हा .. 
कहानी में मयूर का परिचय होने से पहले ही उसके कैसे होने की रूप रेखा लेखक ने खिंच दी। "समझ गया। इस बार भी बंसल के टट्टे को मिला है।" इस पंक्ति ने इतना तो साफ़ कर दिया कि मयूर भारद्वाज अर्क न्यूज ग्रुप का उभरता हुआ सितारा है और आगे कहानी में मुख्य पात्र की भूमिका निभाने वाला है। क्योंकि मयूर के कलीग ने जिस भाषा का प्रयोग उसके लिए किया, वैसी भाषा का प्रयोग किसी चमकते हुए एम्प्लोयी के लिए ही जलनवश हो सकती है। 


एंकर प्रीति के सवाल का ज़बाब देते हुए मयूर कहता है कि 'जब मेरे आस पास के लोग कहने लगे कि ये तो बॉस का चमचा है' मयूर के मस्तिष्क के स्तर का पता इसी वाक्य से चलता है जब वह खुद कहता है कि यही उसके तरक़्क़ी मापने का तरीका है। आप इस जगह पर थोड़ा रुक कर देखेंगे तो पाएंगे कि इस तरह का जबाब देने की क्षमता किसी ख़ास तरह से मजबूत व्यक्ति के पास ही हो सकती है। जिसने जीवन में मेहनत किया हो, जिसे खुद पर विश्वास हो वही इस तरह के शब्दावली का प्रयोग कर सकता है। यहाँ मयूर के मस्तिष्क में मजबूत विचार को देख मैं चकित होता हूँ। इसका उदाहरण पूरी कहानी में देखने को मिलता है। तभी तो जब सीमा ने असली सच्चाई मयूर को बतलायी तो वह कुछ देर को विचलित हुआ। पर उसने हार नहीं मानी। उसने सीमा को बचाने का अंतिम-अंतिम प्रयास किया। भले ही वह सीमा को नहीं बचा पाया। पर अबकी बार उसने किसी दुष्यंत की जान नहीं जाने दी।


इतिहास वर्तमान में राज करने का रास्ता दिखाती है। मेरे पिता हमेशा कहते हैं कि जब तुम सामने होते हो तो लोग सिर्फ तुम्हें नहीं देख रहे होते, तुम्हें देखते-देखते वो मुझे, मेरे संस्कारो को और हमारे पूर्वजों को देख लेते हैं। इसलिए तुम सिर्फ अपने बारे में नहीं सोच सकते। या सिर्फ खुद को जानकर आगे नहीं बढ़ सकते। इसके लिए तुम्हें खुद के साथ-साथ अपने बड़े बुजुर्गों को जानना होगा। जो कि अब कम हो गया है। तभी तो राघवेंद्र शर्मा को पहला आईडिया चंगेज के सामने आया। वह बूढ़े सड़क किनारे इसी दिन के लिए ही तो होते हैं। जो आपको आपके शहर और अपनों के इतिहास से रूबरू कराते हैं। ये हज़ारा स्टेटशन है...
ढाई चाल को पढ़ने से पहले आपको जनता स्टोर पढ़ना चाहिए, उसके बिना यह आपको थोड़ा कम समझ आये क्योंकि ढाई चाल का वर्तमान जनता स्टोर का इतिहास है। लोग कहते हैं भी सीढ़ी क्रमबद्ध तरीके से ही चढ़ना चाहिए। नहीं तो लोग मुँह के बल गिर जाते है।


अगर आप ने जनता स्टोर को पढा है तो इसे भी पढ़िए, इसे भी आप उतना ही पसन्द करेंगे। जनता स्टोर एक सफल किताब थी। और आशा करता हूँ कि यह भी बहुत लोग पढ़ेंगे। 
कुछ और बातें- मैं किताब के कवर से कुछ ज्यादा खुश नहीं हूँ। चूंकि कहानी जनता स्टोर से प्रभावित है तो कवर भी उसके चटीले रंग से प्रभावित होना चाहिए था। जनता स्टोर की तुलना में इसका कवर मुझे उस स्तर का नहीं लगा। ढाई चाल नाम भी कुछ खास नहीं जचा, जनता स्टोर अपने आप में एक ख़ास नाम था। इसे बनाये रखने की जिम्मेदारी थी। अशुद्धि न के बराबर थी, होगी भी तो मुझे नहीं मिली। सिर्फ एक जगह को छोड़कर।


किताब बहुत अच्छी है। कहानी घुमावदार तरीके से बुनी गयी है। पढ़िए और साझा कीजिये। क्योंकि मेरा मानना है की लेखक ने अपने दायित्वों का निर्वाह पूरी ईमानदारी से किया। अब हम पाठकों की जिम्मेदारी है कि हम अपने पंसदिता लेखक को आगे के लिए प्रेरित करते रहें। शुक्रिया नवीन चौधरी जी।

बहुत बहुत बधाई राजकमल की टीम को।

                        

शुक्रिया चौधरी जी



@sachinshvats.

sachinsingh.beg@gmail.com

Comments

  1. You have touched the heart 💜 of the writer.
    You had explained the moral of the Book in a beautiful way. You had made it more clear to us ....
    May God bless you always with abundance of knowledge and wisdom....
    Keep growing my dear....

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  2. Your article is nice but it is too comprehensive to understand for me.i can't recapitulate what is going on whole article.what is the main focus of navin Choudhary in his writing that is not decipherable from this article for me.overall your article is appreciable.

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