To all the Harvey Weinsteins of the world


Left side :M. J. AKABAR.,RIGHT SIDE :PRIYA RAMANI
Picture: first post          


यह आर्टिकल PRIYA RAMANI  की है। जिसे इन्होंने 12-10-2017 को लिखा था। हाल ही में M. J. Akabar द्वारा लगाए गए अवमानना में न्यायालय ने RAMANI को बरी कर दिया है। इस आर्टिकल का हिन्दी अनुवाद SACHIN SH VATS ने किया है। 

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To all the Harvey Weinstein of the world.

By: Priya Ramani 

12 Oct. 2017

“We’ll get you all one day.”

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डिअर मेल बॉस 

आप ने मुझे कार्यस्थल का पहला पाठ पढ़ाया। मैं 23 की थी, आप 43 के। मैं आपके उच्च विचारों को पढ़ते हुए बड़ी हुई हूँ, और आप जैसा बुद्धिजीवी बनना सपना था। आप मेरे लिए उन सभी आदर्श कार्य करने वालों में खास थे। सभी कहते थे कि आपने भारतीय पत्रकारिता को बदल कर रख दिया, और मैं चाहती थी कि मैं आपके टीम का हिस्सा बनूँ। इसलिए हमने एक समय निर्धारित किया, आप मेरा इंटरव्यू लेना चाहते थे , द प्लस साउथ मुम्बई, होटल में, जहाँ आप अक्सर रुकते थे।


सात बज चुके थे, लेकिन वह मेरे लिए मायने नहीं रखता था। मैं जानती थी कि आप व्यस्त सम्पादक हैं। मैं जब लॉबी में थी, मैंने आपको टेलीफोन पर फ़ोन किया। ऊपर आ जाओ, आपने कहा। सच में? मैंने सोचा कि हो सकता है कि बड़े सम्पादक इसी तरह से तरह से इंटरव्यू लेतें हों, कुछ अलग ढंग से। उस वक्त मेरे पास इतना आत्मविश्वास नही था कि आपसे कह सकूँ! नही!, मैं आपका इंतजार लॉबी में कर सकती हूँ। आपने अचंभित किया था।


वह मुझे इंटरव्यू कम, डेट ज्यादा लगा। ऐसा प्रतीत हुआ कि आप जितना प्रतिभाशाली लेखक हैं, उतने बड़े दरिंदे भी। आपने अपने बार से ही मुझे शराब के लिए पूछा। (मैंने मना किया, आपने वोडका पिया), हम ऐसे टेबल पर बैठे थे जो दो लोगों के लिए छोटा था, आपने क्वीन नेकलेस (मैरीन ड्राइव) को अनदेखा किया (कितना रमणीय था) मुझसे मेरी रुचि को जानकर आपने मेरे लिए हिंदी के पुराने गाने गाएं। आपने सोचा आप बहुत अच्छा कर रहें हैं।


बिस्तर! जो एक इंटरव्यू के लिए कभी भी सुंदर जगह नही हो सकती, उसे मैंने पहले ही ठुकरा दिया था, आओ बैठो यहाँ, आपने कहा! उस छोटे से जगह की ओर इशारा करते हुए जो आपके बगल में थी। मैं ठीक हूँ, मैंने अजीब से तनावपूर्ण मुस्कान के साथ जबाब दिया। मैं उस रात चली गयी थी। आपने मुझे नौकरी पर रख लिया। मैंने आपके लिए कई महीनों तक काम किया, यद्यपि मैंने कसम खायी की मैं कभी भी आपके साथ अकेले कमरे में नही रहूँगी।


इतने सालों बाद जब दुनिया बदल चुकी है लेकिन आपकी प्रजाति के लोग आज भी वैसे ही हैं। आप अभी भी सोचतें हैं कि यह आपका अधिकार है कि आपके आस-पास कार्यस्थल पर काम करने वाली महिलाओं में से आप अपने लिए चुन सकतें हैं। आप अभी भी हर साल नए सत्र की महत्वकांक्षी महिलाओं पर वही पुराने घिसे-पीटे हथकंडे अपनाते हैं। "मुझे नहाते हुए देखो", "क्या मैं तुम्हारा मालिश करूँ?" , "तुम्हारा कंधा दबाऊं?", "मैं अपने ब्लो जॉब के लिए तैयार हूँ", "क्या तुम शादी शुदा हों?"


आप माहिर हैं अश्लील फ़ोन कॉल, मैसेज, अव्यवहारिक टिप्पणी करने में, आपको कोई 'नहीं' नहीं बोल पाये, आप इसमें भी माहिर हैं। आप जानते हैं कि कैसे किसी को पास बुलाना है, उसे पुचकारना है, उसे सहलाते हुए उत्पीड़न करना है। कोई आपके ख़िलाफ़ बोले तो आप उस पर अवमानना का इतने बड़े पैसे का बोझ लाद देते हैं कि कोई भी युवा महिला उसका वहन नहीं कर सकती । कभी-कभी कुछ कहानियों के बाहर आ जाने से आपको असुविधा होती है, और आपको अपने सामान्य दिनचर्या को बदलना पड़ता है। अक्सर आप अपनी सामान्य दिनचर्या को वापस पा लेते हैं। आपको उसे बदलने की आवश्यकता भी क्यों है? सही कहा न?


निश्चित ही! यहाँ बहुत सारे मेल बॉस हैं जो यह नही सोचते कि हम लोग उनकी सम्पति हैं लेकिन मैं ऐसे बहुत ज्यादा लोगों से नहीं मिली हूँ जो तैयार हों हमारे साथ खड़ा होने के लिए और अपके स्त्री विरोधी द्वेष को सबके सामने बोल सकें। यह मायने भी नहीं रखता।  अब! यहाँ बहुत सारी बहादुर महिलाएं हैं जो नही डरती उन लोगों से जो इंसान रूप में राक्षस हैं।


हम लोग एक दिन आपसे बदला लेंगें।


प्रिया रमानी

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हिन्दी अनुवाद : सचिन sh वत्स

Email :- sachinsingh.beg@gmail.com


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