फ़िल्म रिव्यू:-मिशन मंगल


    फ़िल्म रिव्यू:-मिशन मंगल 

      


                    विज्ञान और भगवान



    मैं आपको पहले ही बता दूं। मैं अक्षय कुमार को बहुत      ज्यादा ,थोड़ा और ज्यादा ही समझिये पसन्द करता हूँ।

    इतना कि पहले दिन ,और पहला शो ही देखता हूँ  ।

    बचपन से जब से स्कूल से बंक मारकर फिल्में देखना      शुर किया हूं तब से,

                             अब बात फ़िल्म की ,इस वक्त मैं        अक्षय कुमार को पसन्द नही करता ,थोड़ा भी नही         ,अब मैं उनके कार्य का शैली और उसमें उनका                कितना योगदान रहा बस इस बात पर बात करने वाला      हूं।

       फ़िल्म को बहुत ही अच्छे ढंग से लिखा गया है ,वैसा ही जैसा लोगो को पसन्द आये , शुरुआत विफलता से और अंत संघर्ष की सफलता से,,। जो कि फ़िल्म को अत्यधिक रोचक बना दे रही है । जो कहानी जितनी संघर्ष पूर्ण शुरू होती है वो उतनी रोचक होती जाती है ।

                        बात कलाकारों की ,अक्षय कुमार लीड में होते हुए , विद्या बालन का अभिनय पूरा जोश और महत्वपूर्ण किरदार रहा है ,तापसी, सोनाक्षी, कीर्ति कुल्हारी ,नित्या मेनन,शर्मन जोशी,दत्राात्रेय,दिलीप ताहिल ,इत्यादि साथी कलाकारों का अभिनय अपने आप मे महत्व रख रहा है ।
         फ़िल्म की कहानी हमारे देश की अंतरिक्ष विज्ञान पर हो रहे खर्च के इर्द गिर्द घूम रही है ,साथ ही वैज्ञानिकों के ईश्वरीय आस्था पर भरोसा को भी दिखला रही है ,  कैसे ? इस मिशन को सफल किया जाय इसमें अपना सबकुछ लगा कर उस अदृश्य शक्ति के आगे हाथ जोड़ कर खड़ी हो जाती है 
          वैज्ञानिक अपने काम को ही अपना भगवान मानते है ,और उस काम को ही पूरी निष्ठा से करना ही उनकी पूजा है जिसमे वो सफल भी होते है।
   फ़िल्म में हँसी मजाक का भी अच्छा इंतजाम किया गया है जिससे विज्ञान की फ़िल्म हमारे ऊपर बोझ ना हो जाये,
                      मिशन मंगल में महिलाओं का अत्यधिक योगदान रहा है ये हम सभी जानते है । ठीक उसी तरह इस फ़िल्म किरदार में महिलाएं पुरुषों के अभिनय पर भारी पर रही है , 
       हमारे देश का अंतरिक्ष विज्ञान पर खर्च, हिन्दू -मुसलमा सभी का मिलजुलकर काम करना ,महिलाओं की स्थिति , महिलाओं का परिश्रम ,घर परिवार के साथ साथ देश को आगे ले जाने का संकल्प ,अदुभुत मिश्रण है ।
     जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा ,या होम साइंस की मदद से , हर नए चीज को कम खर्च में और दुनिया से बेहतर बना सकते है इसका भी उदाहरण पेश करती है ये फ़िल्म

जिस तरह एक माँ अपनी कोख में 9 महीने तक एक बच्चे को खून, और सांस से पालती है ,ठीक उसी प्रकार एक वैज्ञानिक अपने एक मिशन को सालों अपने खुन पसीने की बदौलत पूरा कर पाता है । 
   बाकी क्या लिखूं फ़िल्म को बहुत ही प्यार और मेहनत से फिल्माया गया है । शायद यही वजह रही होगी शाहो की रिलीजिंग डेट को आगे बढ़ाने की

बहुत बढ़िया उम्दा ,बिना कोई गलती की मूवी

अंत मे अपने पसन्दीता अभिनयकर्ता अक्षय कुमार के लिए कुछ शब्द:-
अक्षय आपका हर कुछ बेहतरीन है ,चलना उठना बैठना ,मुस्कुराना, और  वो सारे मसूड़े के साथ अपना दाँत दिखाना सब परफेक्ट है । आपका राष्ट्रप्रेम ,आपका फिल्मों का चयन , आपका समाज से लगाव ,जिसका उदाहरण बाढ़ पीड़ितों को दिए गए 2 करोड़ रुपये है । मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है । आपका सदा आभारी रहूँगा , 

Sachin sh vats ..




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