
बोलना ही है:-रवीश कुमार अभी रात के ढाई बजे है (2.30) इस वक्त 20 साल का मेरे जैसा युवा दिल्ली की हल्की सी ठंड में पतली चादर ओढ़े अपनी महबूबा से फोन पर बातें कर रहा होगा या फिर सपने में उसकी हल्की सी मुस्कान को अपने अनुसार समझ रहा होगा।,या फिर upsc iit ,medical या भविष्य के बारे में सोच रहा होगा। जबकि मेरी नींद उड़ी हुई है। मेरी नींद किसी प्रेमिका के लिए नही उड़ी मेरी नींद उड़ी अपने भारत की दुर्दशा को देख कर ,युवा छात्रों पर चल रही लाठी को महसूस कर। किसानों के आत्महत्या को सोचकर ,पुलिस और वकील की लड़ाई को देखकर, मैं जाग रहा हूँ सोच रहा हूँ क्या करूँ? कौन सा रास्ता निकालू ?इन सब से कैसे मुक्ति पाउ??। बेचैन हूँ।कभी कभी तो रोने तक का मन कर जाता है। इसे लिखने से पहले मैं एक किताब पढ़ रहा था। #बोलना_ही_है।जिसे लिखा है :-रैमॉन मैगसेसे अवॉर्ड 2019 से सम्मानित #रवीश_कुमार, मैं उन्हें इस अवार्ड के लिए शुभकामन...