बीस दिन बीत गये✔️☑️✅✔️☑️✅

जलना तो हैं हीं बीस दिन बीत गए✔️✅☑️✔️✅☑️ ✔️ हर शाम मुझे सिर्फ एक दिन कटने का अहसास दिलाता हैं, अब तो सपने भी डराने वाले आते हैं। खुश रहने की कोई वजह नहीं हैं मेरे पास। किताबें नहीं पढ़ पाता हूँ। कुछ भी ऐसा नहीं हैं जिससे लगें की मैं इसके लिए जिंदा हूँ। हर पल मौत के करीब जा रहा होता हूँ। सुबह बस अब होती हैं। सुबह के साथ मैं नहीं होता। सूरज की मुलायम किरणें अब आँखों में चुभती हैं। 24 घन्टे में सबसे प्यारा मुझे रात हीं लगता था। अब रात भी गुजारना मुश्किल हैं। दिल में कोई अहसास बचा नहीं हैं। अपनों से अब फ़ोन पर बातें करने का मन नहीं करता। उनसे बातें करना मुझे अकेला होना याद दिलाता हैं। जिन सीढ़ियों पर चढ़कर मैं छत पर आराम करता था। वो सीढियां मुझे कहीं और लें जाती हैं। शायद किसी अँधेरे में , किसी सन्नाटे में। जहाँ मैं जोर जोर से चिल्ला रहा होता हूँ। पर मेरी आवाज सौ गुना तेज मुझे हीं सुनाई देती हैं। मैं कान बन्द कर घुटनों में दबा लेता हूँ। एक छोटे बच्चे की तरह जो माँ-बाप के झगड़े से डरा हुआ हो,, उस बच्चे को लगता हैं कि वो अपनी कान बन्द कर लेगा तो माँ-बाप झगड़ा नहीं करेंगे। आँखों ...