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दूर के ट्रोल सुहाने

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#दूर_के_ट्रोल_सुहाने - #आशुतोष_उज्ज्वल  #प्रकाशक:-#प्रतिभा_प्रतिष्ठान व्यंगकार वह चतुर प्राणी हैं जो समाज ,सरकार ,बुराइयों को सीधा चुनौती ना देकर व्यंग का मार्ग अपनाता हैं,उस पर आक्षेप करता हैं।  व्यंगकार वह डरपोक जीव हैं जो शाम में लौकी या टिंडे खाने की डर से बाहर ही खा कर घर आता हैं,और मोहतरमा से कहता हैं कि आज सुबह से ही पेट मे कुछ गुड़ गुड़ कर रहा हैं।                                         व्यंगकार व्यंग क्यों करता है? क्योंकि वह चतुर हैं,डरपोक हैं?,हँसोड़ हैं?,या फिर हैं?वह संवेदनशील ....................पता नहीं, वह क्या हैं? वह इन सब में से सबकुछ हो सकता हैं?या फिर कुछ भी नहीं?,पर एक बात तय हैं कि उसने सभी चीजों(समाज,सरकार ,बुराई) को नाना(विभिन्न) प्रकार से देखा होता हैं क्योंकि उसके पास खाली समय होता हैं।(मैं व्यंगकार को बेला नहीं कह रहा)                 इस किताब को क्यों पढ़ा जाना चाहिए?इसकी खासियत क्या हैं? ...