हिंदी दिवस
हिन्दी दिवस #सेमिनार हॉल वैसा ही माहौल जैसा सोचा था ,वक्ता और श्रोता दोनों की कमी , और क्यू ना हो भाई, यह हिन्दी दिवस है कोई फ्रेशर पार्टी थोड़े ही है, जो हम आश्चार्य आँखों से उनकी तरफ देखते । इसमे सिर्फ छात्रों की विफलता नही थी । जो भी वक्ता थे कोई भी पूर्व तैयारी के साथ नही आये थे । मुझे तो ऐसा महसूस होता था कि हिंदी दिवस ही समय से पूर्व आ टपका हो। असल मजाक हिंदी का तब बना और शर्म भी उतनी ही आ रही थी जब हिंदी दिवस के बैनर पर "हिंदी दिवस" ही सिर्फ हिंदी में लिखा था बाकी सारी जानकारी अंग्रेजी में लिखी हुई थी। मेरा इस पर लिखना किस हद तक सही है यह बात आपलोगो को अंत मे समझ आएगी । क्योंकि आज शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना बन कर रह गया है ,हम में से किसी को भी भाषा से प्रेम नही रह गया है , ना हमे , ना ही शिक्षकों को ,पूरा पाठ्यक्रम को पढ़ाने की फुर्सत तो है ही नही ,बाहरी...