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'रक्षाबंधन: सपरिवार देखे जाने वाला फ़िल्म' हँसना और रोना दोनों साथ साथ

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आनंद एल. राय की फ़िल्म रक्षाबंधन हम जिस मूड के साथ सिनेमा देखने गए उसी मूड के साथ बाहर नहीं आ पाए। हमें पता था फ़िल्म भाई-बहन के प्यार और उनकी शादी में हो रही समस्या पर आधारित है। लेकिन फ़िल्म में कुछ ऐसा भी है जो कई दफ़ा रुला देता है। फ़िल्म का फर्स्ट हाफ हँसा-हँसा कर लोट-पोट कर देता है। जिसके हिस्से जो भी डॉयलोग्स हैं उसमें उसने उतना फन क्रिएट किया है। फन भी ऐसा जो बनावटी न होकर, स्वतः हो रहा हो। अक्षय यानी कि केदारा ऐसे भाई का किरदार निभा रहें हैं जिसकी 4 बहनें हैं। जिसने वादा किया है कि वह अपनी शादी अपनी सभी बहनों की शादी के बाद करेगा। क्या वह कर पाता है? या नहीं? यह आपको खुद देखना चाहिए। अभिनय की बात करें तो अक्षय कुमार कभी भी किसी भी फिल्म में अपने बॉडी लैंग्वेज पर काम नहीं करते। उन्हें कैसे दौड़ना है दिल्ली की गलियों में यह उन्हें पता ही नहीं। आपने सरदार उद्धम सिंह देखा होगा उसमें जलियांवाला बाग की तरफ भागते विक्की को देख लगता है कि कोई पंजाबी ग्रामीण लड़का ऐसे ही दौड़ता होगा। लेकिन जब दिल्ली की गलियों में अक्षय को चलते-दौड़ते देखते हैं तो लगता है कि अक्षय अभी तक फ़ौजी वाले गेटअप से ...