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'द' से "दिल्ली" 'द' से "दरियागंज"

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 'द' से "दिल्ली" 'द' से "दरियागंज" दरियागंज कि ताब ही इंसान का सच्चा मित्र है परन्तु वह कौन सी किताब होगी? जो मनुष्य का सच्चा मित्र हो, यह कहना बहुत मुश्किल हैं! भोजपत्र काल से लेकर आजतक हजारों सालों में करोड़ों, अरबों-खरबों किताबें लिखीं गयी होंगी और लिखी ही जा रहीं हैं।इतने सारे किताबों के बीच अपना सच्चा साथी ढूँढना कितना मुश्किल है। इस सवाल का जबाब नहीं हैं मेरे पास कि वो किताब मुझे कब मिलेगी जिसे मैं यह कह पाउँगा की यह मेरा सच्चा साथी हैं, मित्र है।  अपने सच्चे साथी की खोज में 27 दिसम्बर 2020 को सुबह 9 बजे हम निकलें। हमने तय किया कि आज द-से-दिल्ली के द-से-दरियागंज घूमने चलेंगें। GTB नगर बस स्टॉप से दरियागंज के लिए 901 नम्बर की बस ली और हम चल दिये। सड़क पर बिछी किताबें                                            इस भ्रमण की योजना हम दो व्यक्ति ने मिलकर तय किया था। एक मैं और दूसरे मेरे प्रिय अंशु भैया।( अंशु चौधरी , संस्थापक ,चिंतन साहित्यिक संस्थान, दिल्ली विश्वविद्याल...