घर ना जाने का निर्णय

नूतन:- गूगल की मदद से दायें कान में पानी चले जाने की वजह से बहुत दर्द हो रहा था। दिनभर मोबाइल और किताबों की मदद से खुद को व्यस्त रखा था। कोई भी दर्द रात को ज्यादा होता हैं जब आप सोने जाओ, और पूरे दिन को याद करो। तो आपको आपका दर्द भी याद आजाता हैं, मुझे याद हैं जब मुझे जख्म हो जाता या बुखार रहता तब भी मैं खेलने चला जाता, वापस जब घर आता तो मुझे दर्द या बुखार का याद आता, वैसे ही कल रात हुआ , शाम में छत पर बैठा था तब तक सब सही था। लेकिन रात के 8 बजे के बाद कान का दर्द इतना बढ़ गया था कि मुँह नहीं खुल रहा था। थोड़ा थोड़ा दर्द की वजह से अंदर ही अंदर बुखार जैसा लग रहा था। इस कोरोना के समय मे बुखार की पीड़ा बुखार के डर के सामने कुछ नहीं, मुझे भूख लगी हुई थी। और दर्द भी हो रहा था। पिछले 2 महीने से ज्यादा दिनों से मैं अकेला हूँ। दिल्ली के एक कमड़े में, बहुत ही अजीब निर्णय था मेरा यहाँ रुक जाना, पर मेरा मन गाँव जाने का नहीं हुआ था।इसके पीछे बहुत सारे कारण थे।जिसमें सबसे बड़ा कारण था। कि मैं अकेले रहकर सीखना चाहता था , कैसी जीते हैं, मेरा रूम पार्टनर बहुत अच्छा हैं ...